मंगलवार, 15 दिसंबर 2015

यादें 
1
मन मंदिर
यादें अगरबत्ती 
जलती हुई।

2
यादों के पाखी 
देर तक विचरे 
मन -आकाश।

3
शीशा-ए- दिल
यादों के पत्थर से
टकरा -टूटे ।

4
यादें काँकर
गिरें मन -सागर
अक्स डोलते।

5
मन -सागर 
छ्प-छप तिरती
यादों की नाव ।

6
यादों की नाव
मझधार पहुँची
भंवर घिरी।

7
यादें उड़ीं 
अतीत नभ तक 
घटा -सी तैरी।

8
यादों के पात
मन में डोलते- से 
पाखी -से उड़े ।

9
हवा यादों की
पतझरी पातों सी
सरसरायी ।

10
सहेजे यादें
मन की एल्बम को 
खोल रही हूँ।

11

धूप -सी यादें
सूरज से उतरी
मन धरा पे ।

  12
मन -तितली 
यादों के फूलों पर
मँडराती -सी ।

    13
मन लहरें 
दरिया के पानी-सी
बहती यादें ।

   14
यादें बहकीं
छलकते जाम -सी
मन छलका।

    15
मन आकाश
चमकती हैं यादें 
चाँद तारों -सी ।

   16
 यादें अंकित
मन कैनवास पे
 तस्वीरों जैसी ।

    17
खामोश यादें
आँखों में आँसू बन
शाम -बरसीं ।

    18
यादों के लम्हें
साथ-साथ चलते
दोस्त हो गए ।

    19 
स्वेटर बुना
यादों -भरी ऊन से 
मन -सलाई 

    20
 शहनाई -सी 
मन की दुनिया में
गूँजती यादें ।

    21
धूप -सी यादें
सूरज से उतरी
मन धरा पे ।

  22
मन -तितली 
यादों के फूलों पर
मँडराती -सी ।

    23
मन लहरें 
दरिया के पानी-सी
बहती यादें ।

   24
यादें बहकीं
छलकते जाम -सी
मन छलका।

    25
मन आकाश
चमकती हैं यादें 
चाँद तारों -सी ।

   26
 यादें अंकित
मन कैनवास पे
 तस्वीरों जैसी ।

   27
खामोश यादें
आँखों में आँसू बन
शाम -बरसीं ।

    28
यादों के लम्हें
साथ-साथ चलते
दोस्त हो गए ।

    29 
स्वेटर बुना
यादों -भरी ऊन से 
मन -सलाई ।


    30
 शहनाई -सी 
मन की दुनिया में
गूँजती यादें ।


      



31
यादें गरजें
सावन की घटा- सी 
मन- बरसे।


     32
 भटकी यादें
आवारा बादल -सी
 बिन बरसे ।

   33
यादों का चाँद 
खोये -खोये मन सा
गगन चढ़ा ।

    34
आँसू के जैसी
यादें -पलकों सजीं
थिर हो गईं ।

   35
हौले से आईं 
पतझड़ -सी यादें 
मन उदास ।

   36
मन पाखी- सा
यादों के पिंजरे में 
फड़फड़ाए ।

  37
मन- डोर पे 
पतंग -सी यादें 
गगन उड़ीं ।

   38
भीगा मौसम
बीज-सी दबी यादें 
अँखुवा गईं।


39
विकल प्राण
यादों की आहट है
उल्कापात -सी।

40  
भीगी यादें हैं 
मधुर पल बीते
मन हैं रीते।

   41
यादें रेशमी
नीर बहते हुए
जल बिन्दु- से।

    42
यादों की डोरी
बिस्तरबंद- मन
बँधा ही रहा ।

   43
यादों के पथ
मन की पगडण्डी 
भटके हम ।


   44
यादों- भरे हैं
मधु-घट मन के
फिर भी प्यासा।

   45
तारों भरी है
यादों की रजनी भी 
मन भी दीप्त ।


    46
गरजता है
यादों -भरा अंधड
 उड़ा मन भी  ।  
                                                               

  37
यादों की गली
मन यायावर सा 
डोलता फिरे।


38
नीर बहते 
झरणे से झरती
याद तुम्हारी ।


39
यादों की हवा
मन खिड़की पर
धक्के मारती।


40
बूँदें बरसी
यादों के तरुओं को
भिगोती रही।


41
डफ की थाप
आँगन में फाल्गुन 
यादों को रंगे।


42
बाँसुरी बन
हवा ने छेड़ दी है
यादों की धुन ।


43
मन की कश्ती 
यादों के समुद्र मे 
डांवाडोल सी।

44
टहुका मन 
पतझड़ आया तो
यादें ले उड़ा ।

45
उदास यादें
रतजगी आँखों में
मँडरा सोई।

46
महका मन 
यादों की हवाओं मे 
हुआ गुलाबी।

46
यादों के मेघ
मन आसमान में
फट बरसे।

47
मन है लौ
समय लालटेन
यादें उजाले।

48
मन चौखट
पंख फैलाये आई
पाखी सी यादें।


49
अम्माँ की याद
पुराने घर की ही 
देहरी बैठी।


50
बसंत आया
मन आँगन पर
यादों का साया।


51
मन का फूल
यादों की  बगिया में
चुभता शूल।


52
यादों की गंध
बिखरती ही रही
मन आँगन।


53
काँच सी यादें
टूट कर बिखरी
कौन समेटे।

54

धूप
1
चंचल धूप
हवा घोड़े पे बैठ
उड़ती फिरे



2
जागा सूर्य तो
धोया था सुबह ने
धूप से मुंह।


3
धूप गोरैया
फुदक आंगन में
चढ़ी मुंडेर।


4
धूप किरणें
फेनिल लहरों में
स्नान करतीं।


5
तपा आकाश
नभ से छिड़कता
धूप की बूँदें।



6
धूप पतंग
साँझ के कंधे पर
अटक गयी।


7
रात स्याही
भोर के कागज पे
धूप कलम।


8
धूप की कूची
चित्रकारी करता
गर्मी का दिन।


9
निठूर बड़े
गर्मी के दिन आये
धूप करारी।



10
धूप के मोती
तरु गले लटके
माला के जैसे।


11
भोर किरण
सूरज का सृजन
धूप जीवन।


12
नभ सागर
तैरती चांदनी सी
भोर किरण।


13
धूप उड़ान
सूर्य की पहचान
भोर किरण ।


14
सूर्य कमल
भंवरे सी है बंद
भोर किरण ।


15
भोर किरण
तितलियों सी आती
पंख पसारे ।


16
स्व्सृजित स
ज्वलित मशाल ले
धूप बनाती ।



17
पाखी सी उड़े
नव अरुणोदय
भोर किरण।


18

सूर्य डाल पे
कोयल सी कूकती
भोर किरण ।


19

श्वेत वस्त्रों में
सजधज के निकले
भोर किरण ।


20

सूर्य गोद मे
नवजात शिशु सी
भोर किरण।

21
धूप जागी तो
सूरज ने भी छोड़ा 
अपना नीड़ ।

22
उतरी धूप
साँझ के कांधे पर 
सागर पार।

23
धूप किरणें 
घास पर बुनती
हरी सी दरी  ।

14
कच्ची सी धूप
आँगन बुहार क
तरू पे चढ़ी ।

15
धूप उतरी
पहन किरणों को
घर अँगना ।

16
धूप रेवड
गडरिया सूरज
हाँक ले गया।

17
धूप की कूँची 
धरा कैनवास पे
चित्र बनाये।

18
नभ ने खोली 
सूरज की पोटल
धूप निकली ।

19
धूप के मोती
धरा चूनर पर
झिलमिलाये।

20
सूर्य पेड़ से
धूप के पत्ते  टूट
धरा पे गिरे।

21
चिडकलीा सी 
फुदकती है धूप
पेड़ पौधे पे।

22
कच्ची सी धूप
आँगन बुहार के
तरू पे चढ़ी

23
सूर्य क़लम
धरा काग़ज़ पर 
धूप में लिखे।


24
नव प्रभात 
धूप के भँवरों पे
हुआ मोहित।

25
धूप नाव पे
कोहरा बैठ कर
पार हो गया।


26
सूर्य  जुलाहा 
धूप की रूई धुन
भोर में काते।


27
हल्दी सी धूप
सरसों के खेतों पे
बसंत झूले।


28
जाल फेंकता
सूरज का मछेरा
धूप मछली।


29
भोर झरोखे
पीपल के पतों सी 
काँपती धूप।


30
औसारे पर 
जागती सुबह नंें 
धूप जलाई।


31
धूप की परी
सूरज के आने पर 
धरा उतरी।


32
धूप टूटी तो
हाँफता सा सूरज
घर को गया।


33
धूप तपाये
गुलमोहर जल
खिलता जाये।


34
बाँध धूप को 
साँझ सलोनी चली
अपने घर।


35
मोम सी धूप
सूरज के ताप से 
ग़लती जाये।


36
धूसर धूप 
मन की चादर भी
सूख सी गयी।


37
धूप पेड़ की
ओट में बैठ कर 
मुँह बनाती।


38
भोर की धुँध 
बुहारती नभ में
धूप महरी।


39
रात की बर्फ़
झाड़ सुबह उठी
सूर्य से रूठी।


40
 सर्द मुटठी में 
क़ैद था जो कोहरा 
धूप में दौड़ा ।


41
सुबह जागे
सूरज के संग में 
धूप भी भागे।


42
खेल खेलती
सूर्य संग में धूप 
चढ़ी उतरी।


43
धूप और छाँह 
संग संग चलते
थाम के बाँह


44 
बेदाग भोर 
सूरज को बुलाती
धूप छानती।

45
धूप की लटें
सँवार के सूर्य ने 
किया उजारा।


46
मौन थी धूप
सूरज आया तो
चमका रूप।


47
धूप उतरी
ख़ुशनुमा मौसम
बच्चे सा हुआ।


48
धूप उगायी
आकाश क्यारी में 
सूर्य माली ने ।


49
प्यासी बावड़ी 
धधकती धूप में 
जलता जेठ।


50
धूप रेवड
गडरिया सूरज
हाँक ले गया ।


51
मैली  सी धूप
सूर्य के गौने पर
बिगड़ा रूप।


52
धूप उदास
कुहासे से झांकती
पार ना पाती ।














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