गुरुवार, 26 नवंबर 2015


 1
चिरैया उड़ी 
तेज आँधी से लड़ी
बिखरे पंख l 

   2
नींद नदी -सी 
लहरों-सा सपना
बहता रहा l 

  3
दूर है नाव 
लहराता-सा पाल 
हवा उदास l 

  4
भीगे हैं तट 
पदचाप बनाती 
बिखरी रेत l 

 5
नदी -सा मन 
बहता लहरों-सा 
सागर हुआ l 

  6
डूबती साँझ 
जीवन -सी उतरी 
विदा के रंग।

 7
धूप पंखुरी 
खिली फागुन बन 
बजे मृदंग ।

 8
मौसम टेसू
मन हुआ फागुन
होली के संग।


 9
महकी हवा
रसपगी होली सी
बिखरे रंग।

10
होली के रंग
उमंग नवरंग
भंग के संग ।

 11
भीगते मन
फगुनाया मौसम
होली के रंग।

 12
भीगी सी होली 
फागुनी बयार में
रसपगी सी।


13
पीत पराग
आँगन में गुलाल
 होली तो होली।


 14
रंग गुलाल
अक्षत चन्दन में
भीगे से तन।


15
भीगा सा तन 
अबीर गुलाल से
हरषे मन।

  16
फागुनी रंग
चंग मृदंग भंग
आगई होली।



   17
भंग के संग 
फागुन का मौसम
होली के चंग।

   18
परिणीता- सी
सजी धजी चाँदनी 
चाँद की प्यास ।

 19
मन का फूल
बादलों के जूड़े में 
दिया है टाँक।

  20
खिला चाँद 
झील के आईने में
पीले गुलाब- सा ।


21

भूली सी यादें 
दिल की किताब में
पीले पन्ने -सी ।

22
कच्चे ख्वाब- सा 
आता -ज़ाता मौसम 
धूप -छाँव- सा ।

23
भूरी पत्तियां
पतझर लायी है
पेड ठगा -सा ।

24
झरना बहा
पहाड़ी पगडंडी
फैला नदी सा ।


25
प्रवासी पक्षी
ठंडी झील में आये
मौसम बदला।


26
हाथ हिलाता
चौखट पर सूर्य
जागी चिड़िया।

27
पीले से पात
ऋतु के द्वार पे
रुका बसंत।

28
झाँकते तारे
नभ के कँगूरे से
टॉर्च फेंकते ।


29

बंद मुट्ठी से
अनमने रिश्ते हैं
खुलते नहीं।

30
मेहँदी लगी 
साँझ- हथेली पर 
रंग ले आई ।


  31
तारों की रात
अमावस की बेला
भीगी रजनी ।

   32 
कोयला दिन 
अँगीठी में सुलगा
राख़ हो गया ।


33
खुली मुंडेर
ऋतु से बतियाता
अमलतास।

34
धूप -लहरें
माणिक बरसाता
गुलमोहर।

35
श्वेत चूड़ियाँ
भरके कलाइयाँ
सजी शेफाली।

36
सूरजमुखी
पौधे के झरोखे से
सूर्य निहारे।


37
हवा में घुल
गुलाब के फूल भी
'खुशबू बने।

38
मोगरे दाने
चुनता हवा पाखी
चोंच मारके ।

39
उनींदा दिन
सफ़ेद गुलाब से 
रंग ले भागा ।

40
हवा तितली
मोगरे का रस पी
गंध ले उडी ।

41 
खोल सी गयी
सूरजमुखी धूप
सूर्य की आँखें ।

42
कच्चे घड़े से
पारिजात टूटे थे
पाखी से उड़े ।

43
चाँदनी आई 
शेफाली को ओढ़ाई
श्वेत चूनर ।

44
सफ़ेद चोला 
ओढ़ हरसिंगार 
खिला महका।


45
शाखों ने बाँधी 
पाँतों की झांझर तो
हवाएँ बोली।

       46
मेंहदी लगा 

मौसम रंगरेज
बसंत हुआ।

47

धरा आोढनी 
रंगरेज सा रंगे
आया बसंती।


48
तुम थे आये
महका मन मेरा
गुलाब हुआ।

49
 रंगरेज सा
इंद्रधनुष हुआ
मेरा सपना।

50

 सखी सजाना
रंगरेज पिया से 
चूनर लाना।

51
 चम्पई मन
नाव सा डोल रहा
मिली ना ठांव।


52
गौरैया आई
घर मुँडेर पे तो

चहका घर।

53
समय चक्र 
अनवरत भागे
मंज़िल नापें।

54
गहरी रात
व्याकुल चिडिया
रोने से जागी।


55
 घुँघरू बजा
नाचती रही हवा
घर आँगन ।

56
गहरी रात
व्याकुल चिड़िया के
रोने से जागी।

57

बुन के जागे

सपनों का घोंसला
नींद तरू पे ।

58
द्वार बंद है 
आँगन के पार भी 
घुप अंधेरा ।



59
पलाशी मन 
 नदी की लहरों पे
बहा दीप सा।

60
हवा बटोर
ताजा हो लहराती
फूल पत्तियाँ ।

61
घूमती रही
पतझडी पत्तियाँ
तरू आँगन ।

62
लंबी उतरी
नींद उचटी हुई
ख़्वाब देखती।


63
लकीरें खींच
सरहदें बनाईं
मन क्यों रोया?

64
लम्हे पकड़
गुज़रते वक़्त का


चित्र बनाया ।

65
तेज धार में 
रेत के घरोंदे भी
बह जाते हैं।

66

चुप्पी की धारें 

बहते  ही जाते हैं 
नीर बनके।

67
धारा बही तो
कोई न रोक पाया
मिला किनारा।


68
गूँगी क़ब्र पे
रात दिन जलता
रूह का दिया।

69
नैनों से धारे
कलकल बहते 
चुभते आरे।


70
जा़दूगर सी 
जीवन की घड़ी है
बदले रूप।

71
सागर तट
लहरों संग खेला
फेनों  का रेला ।


72
उड़े जीवन
सपन नभ पर 
मन डोरसे ।

73
दूर है भोर
घोर अंधेरा छाया
निर्जन मन ।


74
नींद ना आये 
सपना भरमाये 
कटे ना रैन।

75
उम्र की डोर
सोन मछरिया सी
हाथ से घिरी ।

76
शाम के रंग
फुलकारी काढ़ते 
धरा चुन्नी पे।


77
पाँव उठाये
दौड़ती हैं सड़कें 
रोक ना रुके ।

78
नींद धरा पे 
सपना अंकुराये 
उगता जाये।

79
ओस के आंसूं 
बहा के रोया नभ
धरा भी भीगी।

80
आदि ना अंत
समय गतिमान
चले अनंत ।

81
फूल हैं रोते
भँवरा जब तब
रस पी जाता।


82
अनछुई सी
गुलाब पंखुड़ियाँ 
तितली ढूँढें ।

83
फैलती गयी 
जुगनुओं की आभा
तम पीकर।

 84
चाँद  सा मन 
रात की ख़ामोशी में 
घूमता रहा।

85
चाँद की डोरी
खींच कर चाँदनी 
धरा पर आई।

86
दुख की नदी
जब बहती जाती
भीगता मन।

87
मृत्यु चिड़िया 
जीवन गगन में 
थक के गिरी।

88
ग़ुम हो गये
नींद की गुफ़ा में जा
स्वप्न खो गये।

89
कोरा है मन
प्रेम अक्षर लिख
रंग भर लो।

89
पतों के गीत
सुनती हैैं चिड़िया 
हवा गूँजती।

90
नये नीड़ों में 
नवजात शिशु भी
गगन ताके।

91
चरखा नभ
चाँद चाँदनी संग
रात कातता ।

92
सागर तट
लहरों संग खेला
फेनों का मेला।

93
बारिश आई
मन की गलियाँ भी 
हरी हो गयीं ।

94
भंवरे झूमें 
कलियों के पाटल
खुलते गये।

95
मौन था मन
दूर गगन उड़ा
तो शब्द मिले ।

96
नमकीन थी
झील पर लहराती
मन हवाएँ।

97
चंद्रमा बोला
चाँदनी आओ उगे
आज पूनम ।

98
दरों दीवार 
 बुहार कर देखे
मन के जाले।

99
सूखा सा मन
प्रीत की हाला पी क
रसीला हुआ।

100
मन का मोर
घटाओं को देखके 
हुआ विभोर


यादें 
1
मन मंदिर
यादें अगरबत्ती 
जलती हुई।

2
यादों के पाखी 
देर तक विचरे 
मन -आकाश।


3
शीशा-ए- दिल
यादों के पत्थर से
टकरा -टूटे ।

4
यादें काँकर
गिरें मन -सागर
अक्स डोलते।
5
मन -सागर 
छ्प-छप तिरती
यादों की नाव ।

6
यादों की नाव
मझधार पहुँची
भंवर घिरी।

7
यादें उड़ीं 
अतीत नभ तक 
घटा -सी तैरी।

8
यादों के पात
मन में डोलते- से 
पाखी -से उड़े ।


9
हवा यादों की 
पतझरी पात-सी
सरसरायी ।

10
सहेजे यादें
मन की एल्बम को 
खोल रही हूँ।

11

धूप -सी यादे
सूरज से उतरी
मन धरा पे ।

  12
मन -तितली 
यादों के फूलों पर
मँडराती -सी ।

    13
मन लहरें 
दरिया के पानी-सी
बहती यादें ।


   14
यादें बहकीं
छलकते जाम -सी
मन छलका।

    15
मन आकाश
चमकती हैं यादें 
चाँद तारों -सी ।

   16
 यादें अंकित
मन कैनवास पे
 तस्वीरों जैसी ।



    17
खामोश यादें
आँखों में आँसू बन

शाम -बरसीं ।

    18
यादों के लम्हें
साथ-साथ चलते
दोस्त हो गए ।

    19 
स्वेटर बुना
यादों -भरी ऊन से 
मन -सलाई 

    20
 शहनाई -सी 
मन की दुनिया में
गूँजती यादें ।


     21
धूप -सी यादें
सूरज से उतरी
मन धरा पे ।

  22

मन -तितली 
यादों के फूलों पर
मँडराती -सी ।

    23
मन लहरें 
दरिया के पानी-सी
बहती यादें ।

   24
यादें बहकीं
छलकते जाम -सी
मन छलका।


    25
मन आकाश
चमकती हैं यादें 
चाँद तारों -सी ।


   26
 यादें अंकित
मन कैनवास पे
 तस्वीरों जैसी ।

    27
खामोश यादें
आँखों में आँसू बन
शाम -बरसीं ।

    28
यादों के लम्हें
साथ-साथ चलते
दोस्त हो गए ।


    29 
स्वेटर बुना
यादों -भरी ऊन से 
मन -सलाई ।


    30
 शहनाई -सी 
मन की दुनिया में
गूँजती यादें ।
      

    21
यादें गरजें
सावन की घटा- सी 
मन- बरसे।


     22
 भटकी यादें
आवारा बादल -सी
 बिन बरसे ।

   23
यादों का चाँद 
खोये -खोये मन सा
गगन चढ़ा ।

    24
आँसू के जैसी
यादें -पलकों सजीं
थिर हो गईं ।

   25
हौले से आईं 
पतझड़ -सी यादें 
मन उदास ।

   26
मन पाखी- सा


यादों के पिंजरे में 
फड़फड़ाए ।

  27
मन- डोर पे 
पतंग -सी यादें 
गगन उड़ीं ।

   28
भीगा मौसम
बीज-सी दबी यादें 
अँखुवा गईं।

29
विकल प्राण
यादों की आहट है
उल्कापात -सी।

  30
भीगी यादें हैं 


मधुर पल बीते
मन हैं रीते।

   31
यादें रेशमी
नीर बहते हुए
जल बिन्दु- से।

    32
यादों की डोरी
बिस्तरबंद- मन
बँधा ही रहा ।

   33
यादों के पथ
मन की पगडण्डी 
भटके हम ।

   34
यादों- भरे हैं


मधु-घट मन के
फिर भी प्यासा।

   35
तारों भरी है
यादों की रजनी भी 
मन भी दीप्त ।

    36
गरजता है
यादों -भरा अंधड
उड़ा मन भी  ।

  37
यादों की गली
मन यायावर सा 
डोलता फिरे।

38
नीर बहते 


झरणे से झरती
याद तुम्हारी ।

39
यादों की हवा
मन खिड़की पर
धक्के मारती।

40
बूँदें बरसी
यादों के तरुओं को
भिगोती रही।

41
चुभती हवा
धकेल मन द्वार 
यादें ले आई ।

42 
नीलगगन
केसरिया चाँदनी 
चमकी चाँदनी ।


43
काॅल बैल सी 
बजती रहती है 
यादें तुम्हारी।


44
याद किसी की 
दरो दिवार पर 
ज़मी कराई सी।

45
ज्वारभाटा था
यादों में उछालता 

मन सिंधु में ।

46
मन के पन्ने 
यादों के चित्र खींच 
भरते गये।

47
कोयल बोली
मन में जागी यादें
तो आँखें खोली।


48



धूप
1

चंचल धूप
हवा घोड़े पे बैठ
उड़ती फिरे।

2

जागा सूर्य तो
धोया था सुबह ने
धूप से मुंह।

3

धूप गोरैया
फुदक आंगन में
चढ़ी मुंडेर।


4

धूप किरणें
फेनिल लहरों में
स्नान करतीं।

5


तपा आकाश
नभ से छिड़कता
धूप की बूँदें।


6

धूप पतंग
साँझ के कंधे पर
अटक गयी।

7

रात स्याही
भोर के कागज पे
धूप कलम।


8

धूप की कूची
चित्रकारी करता
गर्मी का दिन।

9


निठूर बड़े
गर्मी के दिन आये
धूप करारी।


10

धूप के मोती
तरु गले लटके
माला के जैसे

11

भोर किरण
सूरज का सृजन
धूप जीवन।



12

नभ सागर
तैरती चांदनी सी
भोर किरण।


13

धूप उड़ान
सूर्य की पहचान
भोर किरण 


14

सूर्य कमल
भंवरे सी है बंद
भोर किरण ।


15

भोर किरण
तितलियों सी आती
पंख पसारे ।


16

स्व्सृजित सी
ज्वलित मशाल ले
धूप बनाती ।


17

पाखी सी उड़े
नव अरुणोदय
भोर किरण।


18

सूर्य डाल पे
कोयल सी कूकती
भोर किरण ।


19

श्वेत वस्त्रों में
सजधज के निकले
भोर किरण ।



20

सूर्य गोद में
नवजात शिशु सी
भोर किरण।

21
धूप जागी तो
सूरज ने भी छोड़ा 
अपना नीड़ ।

22
उतरी धूप
साँझ के कांधे पर 
सागर पार।

23
धूप किरणें 
घास पर बुनती
हरी सी दरी  ।

24
कच्ची सी धूप
आँगन बुहार के
तरू पे चढ़ी ।

25
धूप उतरी
पहन किरणों को
घर अँगना ।

26
धूप रेवड
गडरिया सूरज
हाँक ले गया।

27
धूप की कूँची 
धरा कैनवास पे
चित्र बनाये।


28
नभ ने खोली 
सूरज की पोटली
धूप निकली ।

29
धूप के मोती
धरा चूनर पर
झिलमिलाये।

30
सूर्य पेड़ से
धूप के पत्ते  टूट
धरा पे गिरे।

31
चिडकलीा सी 
फुदकती है धूप
पेड़ पौधे पे।


32
कच्ची सी धूप
आँगन बुहार के
तरू पे चढ़ी।

33
सूर्य क़लम
धरा काग़ज़ पर 
धूप में लिखे।

34
नव प्रभात 
धूप के भँवरों पे
हुआ मोहित।

35
धूप नाव पे
कोहरा बैठ कर
पार हो गया।


36
सूर्य  जुलाहा 
धूप की रूई धुन
भोर में काते।

37
हल्दी सी धूप
सरसों के खेतों पे
बसंत झूले।

38
जाल फेंकता
सूरज का मछेरा
धूप मछली।

39
भोर झरोखे
पीपल के पतों सी 
काँपती धूप।


40
औसारे पर 
जागती सुबह नंें 
धूप जलाई।

41
धूप की परी
सूरज के आने पर 
धरा उतरी।

42

धूप टूटी तो
हाँफता सा सूरज
घर को गया।


43
धूप तपाये
गुलमोहर जल
खिलता जाये।

44
बाँध धूप को 
साँझ सलोनी चली
अपने घर।

45
मोम सी धूप
सूरज के ताप से 
ग़लती जाये।

46
धूसर धूप 
मन की चादर भी
सूख सी गयी।


47
धूप पेड़ की
ओट में बैठ कर 
मुँह बनाती।

48
भोर की धुँध 
बुहारती नभ में
धूप महरी।

49
रात की बर्फ़ 
झाड़ सुबह उठी
सूर्य से रूठी।

50
 सर्द मुटठी में 
क़ैद था जो कोहरा 
धूप में दौड़ा ।


51
सुबह जागे
सूरज के संग में 
धूप भी भागे।

52
खेल खेलती
सूर्य संग में धूप 
चढ़ी उतरी।

53
धूप और छाँह 
संग संग चलते
थाम के बाँह। 

54 
बेदाग भोर 
सूरज को बुलाती
धूप छानती।


55
धूप की लटें
सँवार के सूर्य ने 
किया उजारा।

56
मौन थी धूप
सूरज आया तो
चमका रूप।

57
धूप उतरी
ख़ुशनुमा मौसम
बच्चे सा हुआ।

58
धूप उगायी
आकाश क्यारी में 
सूर्य माली ने ।


59
प्यासी बावड़ी 
धधकती धूप में 
जलता जेठ।

60
अँजुरी भर
सूर्य पीकर धूप
धरा पे आई।

61
मौसम धूप
छाँह पर छाई तो
फूल मुस्कुराते।

62

धूप की मीन
सागर में तैरती
सूर्य का जाल ।

63
धूप की लटें
सँवार के सूर्य ने
किया उजारा।

64
झरती बर्फ
रूई रूई मौसम
खो गई धूप।


65
शीत का उठा
ठिठुरता नकाब
धूप थी फैली।

66
धूप का लगा
उप़टन

















Sent from my iPad