आज त्रिवेणी में डॉ सरस्वती माथुर के ताँका
Saturday, April 11, 2015
मन की डोरी
डॉ
सरस्वती
माथुर
मन की
डोरी
जीवन सुधियों
से
बाँध
पिरोई
फिर देहरी
पर
नेह दिया
जलाया।
2
नीर न
रोको
अविरल नैंनों
से
बहने भी
दो
मन
-नदी
गहरी
समा लेंगी
यादों को।
3
थाम जो
लोगे
जीवन पथ
पर
हाथ
हमारा
मन-ताल
खिलेंगी
कलियाँ कमल की
।
4
तितली-
मन
फूलों को
चूमकर
रस है
पीता
रंग
बटोरकर
जीवन
पूरा
जीता।
5
चाँद -
चाँदनी
मधुर संबंधों
की
एक है
डोरी
नेह का बंधन
है-
जानती है
चकोरी ।
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