सोमवार, 16 मार्च 2015

फूलों पर हाइकु .....बुरांश ,कचनार ,मधमालती ,कमल, हरसिंगार ,गुलमोहर ,अमलतास ,पलाश व दूब

बुरांश
1॰
बुरांश- फूल
लाल मोती से झरे
धारा पे जड़े l
2
 रंगरेज से
धरा को रंगते हैं
बुरांश फूल l
3
हवा मुँडेर
मोहित हो बुरांश
तके धरा को l
4
रंग चादर
धरती पर बिछा
बुरांश खिला l
5
बुरांश रंग
पुरवा डाल पर
बजाये च्ंग l
6
लाल सुमन
खिले बुरांश के तो
दहका वन l
7
सतरंगी सी
 बुरांश की चादर
लगे मादक l
8॰
कहाँ से लाये
रंगरेज बुरांश
इतने रंग l
9.
धरा पे लाल
पर्वतों पे बुरांश
क्यों हुआ श्वेत ?
10 ॰
रूप बदले
हर पल बुरांश
तभी तो खास l
11
प्रेम सौंदर्य
 बुरांश के रंगों से
धरा पे आये l
12
पल्लवित हो
मखमली बुरांश
शृंगार करे l
13
लहलहाता
हवा में फुदकता
बुरांश पाखी l
14
मन निहारे
बुरांश के फूलों को
 सांझ सकारे l
15
अभिनंदन
'फूल बुरांश तुम
रंगते मन l
16.
बुरांश रंग
प्रकृति कैनवास
इंद्रधनुषी l


कचनार
1॰
रंगारंग से
 खिलते हैं कचनार
 नौलखा हार l
2॰
मीठी चाँदनी
रसभरे सज़े फूल
कचनार के l
3॰
बंदनवार
कचनार फूलों की
मन रंगती l
4
बतियाती है
कचनार की गंध
मन आँगन l
5॰
मुस्कराते हैं
अबोध कचनार
मंद बयार l
6॰
कचनार की
डालीदार देह पे
रेशमी फूल l
7॰
कच्ची कलियाँ
कचनार की लगे
दीप्त लड़ियाँ l
8॰
सधी लय में
कचनार के फूल
रंग बिखेरे l
9॰
जादुई फूल
नवसूए सी शाखाएँ
कचनार की l
10.
कचनार के
रंगरेज कुसुम
 मन रंगते l
11
चटक धूप
कचनार डाली पे
रंग समेटे l
12
 कुंजों की डार
मखमली फूल हैं
 कचनार के l
13
मन लुभाते
कचनार सुमन
पुरवा संग l
14
खोलें पाटल
कचनार के रंग
हवा में तैरे l
15
हवा हिलाये
कचनार कलियाँ
सुर्ख हो खिले l
16
रेशमी वेणी
 कचनार कली की
 चकित कुंज l


मधुमालती
1॰
गुच्छ तुम्हारे
मन आँगन रंगते
मधुमालती  l
2॰
हरी  लताएँ
मधुमालती देती
घनी  छायाएँ l
3॰
फूलों के गुच्छ
भैनी मधुमालती
मिश्री सी गंध l
4.
हवा चिड़िया
मधुमालती बैठी
धरा घरौंद
5॰
फूल मालती
 आँगन महकाये
 मधु लुभाए l
6॰
मधुमालती
 बगिया महकाए
गुच्छ  लुभाये l
7॰
रसप्रिय सी
डोले मधुमालती
पिक चाँदनी l
8
 कोमल बेल
मधुमालती संग
खुशबू खेले l
9॰
रही मालती
हरी भरी रसीली
मधु सी बेलें l
10॰
लिपटी तरु
मधुमालती फूली
चाँदनी झूली l
11.
मधुमालती
सहमी चिड़िया सी
चाँदनी फूली l
12॰
तरु पे चढ़ी
मधुमालती बेल
अनोखा मेल l
13॰
चली बयार
मधुमालती  हरी
हुई मगन  l
14॰
बांसुरी हवा
मधुमालती को छेड़े
दाद दें फूल l
15.
झूमते फूल
मधुमालती पे चाँद
जब खेलता l
16.
रंग अनंत
मधुमालती बुनती
धरा बसंत l
17.
मनोहरम
माधवीलता झाड़ी
तुम निराली l
18.
मधुरस पी
माधवीलता संग
भँवरा झूमा l
19.
स्वत फैलती
धरती को सजाती
माधवी लता  l


कमल
1.
कमल फूल
गहरी झील पर
 तिरते पाखी l
2.
सुशोभित है
पोखर में कमल
भीगा है मन l
3.
कमल खिला
चंचल  मन रंग 
फूटी कोंपल l
4.
कमल  फूल
याद दिला तुम्हारी
संग खिलते l
5.
कमल खिले
छेड़े हवा के गीत
आओ न मीत l
6॰
दंग है मन
चाँद चाँदनी संग
कमलबंद l
हरसिंगार
1
खिले चाँद सी
 खिली शैफालिका
 धरा चाँदनी l
2
उजास लायी
शैफालिका झर के
थी मुस्कराई l
3
चाँद- चाँदनी
हरसिंगार देख
धरा पे आये l
4.
फूलचुग्गी से
हरसिंगार उड़े
सूर्य देख के l
5.
हरसिंगार
बहती रसधार
भोर के द्धार l
6.
रसपगी सी
 बतियाती झरती
 शैफालिका भी l
7.
झरी शैफाली
धरती देह पर
चंदनवर्णी l
8.
गगन तरु
उड़ती शैफालिका
चिड़िया बन l
9.
शैफाली झरे
धरती पुरवा में 
सौरभ भरे l
10.
शाख छोड़ के
शैफाली फूल झरे
धरा को भरे l
11
भास्कर आया .
हारसिंगार ने झर
दर्द छिपाया l
12.
मीठी खुशबू
हरसिंगार गुच्छ
भोर को सौंपे l
13.
सूर्य खामोश
हरसिंगार झरे
ओस कणो पे  l
14
उम्मीदें जागी
अल्हड़ हरसिंगार
भोर में भागी l
15
ठंडी बयार
हँसती  शैफालिका
भोर में झरी l
16
झुंड कीरों ले
लजीली शैफाली को
रिझाते डोले l
.गुलमोहर
1
अंगारे फैंक
धरा -तपा दहका
गुलमोहर l
2.
माणिक मोती
धरा पे बरसाता
गुलमोहर l
3.
प्रदीप्त हुआ
धूप रस पीकर
गुलमोहर l
4
दहका मन
गर्मी  मौसम तापे
गुलमोहर l
5॰
धूप में तपे
लाल गुलमोहर
 रक्तिम मन l
6॰
स्वर्णिम हुआ
गुलमोहर लुटा
धरती सजी l
7.
लाल चूड़ी सा
बजे हवा के संग
गुलमोहर l
8
मन लहरें
गुलमोहर सिंधु
जलपाखी सा l
9
स्वर्णिम हुआ
 गुलमोहर लुटा
धरती सजी l
पलाश
1॰
मन भी लाल
खिले पलाश संग
प्रेम खिलाये l
2.
गूँथ मन को
माहवार रचाए
लाल पलाश l


अमलतास
1.
केसरी आभा
अमलतास रूप
खिली धूप सा l
2
हल्दी मल के
अमलतास खेले
धारा से होली l
3.
कुंदन मन
अमलतास संग
खिला फूल सा l
4.
ओ अमलतास
 कहाँ से लेके आये
 स्वर्णिम रूप l
5.
धरा निहारे
पुष्पित झूमर से
अमलतास l
6.
अमलतास
तप के लगते क्यों
 हमको खास ?
7.
अमलतास
हल्दी का उबटन
लगा दमका l
8.
हल्दी की रस्म
अमलतास निभाए
धरा दमका l


9
पीली  चूनर
 लहराता उड़ाता
अमलतास l
10.
जोगन बन
संदेशा देता डोला
 अमलतास l
11.
अमलतास
दमकाता धरती
मन बौराता l
12
मन रंग के
अमलतास फूल
भौंरे सा डोला l


दूब/घास
1
दूब सागर
ओस बूंद तिरती
नाव सरीखी l
2.
चीर माटी को
स्पंदन करती
दूब उगती l
3
मूक खड़ी है
हरी चादर ओढ़े
टिड्डी सी दूबl
4
हारा सागर
दूब र्सर्पों के गुच्छ
सरसराते l
5.
अलस दूब
हारा बिछौना तान
ओस नहाई 1
.6
झूमती दूब
गुनगुनी धूप में
धरा निखारे l
7.
ओस के छल्ले
पसरती घास पे
 क्षणभंगुर l
8.
हरी धरती
 बारिश की बूंदें
 दूब पे नाचें l
9.
हर्ष विभोर
दूब अंखुयाई तो
ओस थिरकी l
10
दूब बुनती
 मखमली धरती
 हरे धागे से l
11.
ओस की बूंदें
दूब की नोंक पर
कसीदा काढ़े l
12
दूब पे धूप
इंद्रधनुषी हार
रेशमी तार l
13.
झरती ओस
दूब के तारों पर
रेशमी भोर l
14.
दूब पहने
दूब की कणियाँ तो
करे कुन्दन
15
दूब मुस्काए
हरियाली के संग
सज़े सँवरे l
16
.दूब धुनती
हरियाली चादर
धरा बुनती l
17
दूब जन्मी तो
धरती की कोख 
 'हरी हो गयी l
18.
धरा पे दूब
माती को बांध कर
मन खिलाती l
19॰
हरियाली को
 धरती है बांधती
 दूब डोरी से l
20
मन दूब सा .
उगता जाता जब
 'हरा हो जाता l
21
धरा पहने
करघनी दूब की
 विरल मन l
22
फडफड़ाती
दूब के घरोंदे में
ओस चिड़िया l
.

























दूब










9.





























































































































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