मेरी साथी
मुंडेर पर मेरी
फुदकती गौरैया
प्रात: नित्य ह़ी आती
बन गयी मेरी साथी
मुझे ना देख अकुलाती
देख मुझे मुस्कराती
मेरे हाथ से दाना खाती
बन गयी मेरी साथी
मुंडेर पर मेरी
फुदकती गौरैया
सुरीले स्वर में गाती
मन छू कर उड़ जाती
तेज आंधी से घबराती
बन गयी मेरी साथी
मुंडेर पर मेरी
फुदकती गौरैया
रेशमी नीड़ बुनती
सुंदर तिनके चुनती
देख नव:शिशु खिल जाती
बन गयी मेरी साथी
मुंडेर पर मेरी
फुदकती गौरैया
...........
पाहुन बन आ जाओ
मन निमंत्रण दे रहा है
पाहुन बन आ जाओ
मन क़ी प्यास बुझाओ
बीते कई मंगल त्यौहार
अभी भी लगी है बंदनवार
गुजरे दिन याद करके
मौसम से छा जाओ
पाहुन बन आ जाओ
मीठी घड़ियाँ सुरमई आंचल
तुम्हे बुलाता आँखों का काजल
नीर भरे हैं मन के बादल
बरस जायेंगे ना तरसाओ
पाहुन बन आ जाओ
मन निमंत्रण दे रहा है
पाहुन बन आ जाओ
.......................................
मौसम आया है
महावर मेहँदी रचा कर
मौसम आया है
तुम भी आ जाओ
नव कोंपल जैसे फाग
तुम मेरे जीवन के राग
मुझे मत बिसराओ
मौसम आया है
तुम भी आ जाओ
मन के कण कण में
धरा में और गगन में
तुम्ही धूप - तुम्ही छाँव
पाखी से उड़ आओ
मौसम आया है
तुम भी आ जाओ!
डॉ सरस्वती माथुर
मुंडेर पर मेरी
फुदकती गौरैया
प्रात: नित्य ह़ी आती
बन गयी मेरी साथी
मुझे ना देख अकुलाती
देख मुझे मुस्कराती
मेरे हाथ से दाना खाती
बन गयी मेरी साथी
मुंडेर पर मेरी
फुदकती गौरैया
सुरीले स्वर में गाती
मन छू कर उड़ जाती
तेज आंधी से घबराती
बन गयी मेरी साथी
मुंडेर पर मेरी
फुदकती गौरैया
रेशमी नीड़ बुनती
सुंदर तिनके चुनती
देख नव:शिशु खिल जाती
बन गयी मेरी साथी
मुंडेर पर मेरी
फुदकती गौरैया
...........
पाहुन बन आ जाओ
मन निमंत्रण दे रहा है
पाहुन बन आ जाओ
मन क़ी प्यास बुझाओ
बीते कई मंगल त्यौहार
अभी भी लगी है बंदनवार
गुजरे दिन याद करके
मौसम से छा जाओ
पाहुन बन आ जाओ
मीठी घड़ियाँ सुरमई आंचल
तुम्हे बुलाता आँखों का काजल
नीर भरे हैं मन के बादल
बरस जायेंगे ना तरसाओ
पाहुन बन आ जाओ
मन निमंत्रण दे रहा है
पाहुन बन आ जाओ
.......................................
मौसम आया है
महावर मेहँदी रचा कर
मौसम आया है
तुम भी आ जाओ
नव कोंपल जैसे फाग
तुम मेरे जीवन के राग
मुझे मत बिसराओ
मौसम आया है
तुम भी आ जाओ
मन के कण कण में
धरा में और गगन में
तुम्ही धूप - तुम्ही छाँव
पाखी से उड़ आओ
मौसम आया है
तुम भी आ जाओ!
डॉ सरस्वती माथुर
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