तांका
1
1
छलछलाई
यादें -आँखों की कोर
छ्लके आंसूं
सूनी नम ऑंखें थीं
यादों का दर्द ओढ़े
2
यादें -आँखों की कोर
छ्लके आंसूं
सूनी नम ऑंखें थीं
यादों का दर्द ओढ़े
2
यादें छायीं
काले बादलों जैसी
घूमी मन में
फिर जो बरसीं तो
आँखों में सैलाब था
काले बादलों जैसी
घूमी मन में
फिर जो बरसीं तो
आँखों में सैलाब था
3
बहता मन
लहरों सा उछल
छुए किनारा
तलछट सा फिर
सूखी रेत भिगोये
लहरों सा उछल
छुए किनारा
तलछट सा फिर
सूखी रेत भिगोये
2
मन मथ के
जब ख़त पुराना
मन मथ के
जब ख़त पुराना
हाथ में आया
खिला गया चाँद सा
अतीत का चेहरा
3
मन महका
चिड़िया सा चहका
उड़े उन्मुक्त
नील गगन तक
साथी पाकर
5
झील हो -बर्फ
कलकल करती
शीतल धार
ऊपर जमती है
नीचे बहती खार
खिला गया चाँद सा
अतीत का चेहरा
3
मन महका
चिड़िया सा चहका
उड़े उन्मुक्त
नील गगन तक
साथी पाकर
5
झील हो -बर्फ
कलकल करती
शीतल धार
ऊपर जमती है
नीचे बहती खार
6
मन मंथन
कुछ ऐसा हुआ है
साथ ले आया
यादों का खज़ाना भी
अब छिपाएं कहाँ ?
मन मंथन
कुछ ऐसा हुआ है
साथ ले आया
यादों का खज़ाना भी
अब छिपाएं कहाँ ?
डॉ सरस्वती माथुर
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