मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

हाइकु...आँखें /नैन

आँख की नमी
एक उच्छ्वास में
मोती सी बनी
खाली आँखों से
देख रही बूढी माँ
बेटे की राह
उनींदी आँखें
सपनो के नभ में
झुला झुलाये
धुंधली आँखें
उम्र की चौखट पे
खड़ा बुजुर्ग
पूजो चरण
आँखों में सपने ले
खाद बुजर्ग
उनींदे नैन
बुन रहे सपने
भरे वितान
मोम सी बूँद
धरा आँख से गिरी
ओस नाम है
आँख मिचौनी
खेलती धूप छांह
बदल संग
नींद की पारी
सपनो में खेलती
आँख मिचौनी
१०
मीठी सी नींद
जागे से सपने ले
आँखों में तैरी
११
ख्वाबों के दीये
आँखों में जलते से
नींद की बाती
१२
चाँद बदल
खेलें आँख मिचौनी
छिपे तारे भी
१३
आँखों की क्यारी
बो दी है नींद भर
सपने उगे
१४
यादें भरी हैं
आँखों में लबालब
छलके आंसूं
१५
ख्वाबों के पाखी
आँखों में उतरे हैं
नींद नभ में
१६
बहिन उर
भाई का प्यार छिपा
लोचन गीले
१७
परदेस में
भीगी भाई की आँखें
रक्षा पर्व पे
१८
मुखड़ा भोला
नैनो से है रिझाए
मुरली वाला
१९
चल नैन
माखन चोर लल्ला
तोड़े मटकी
२०
यादों के तारे
आँखों के नभ पर
हैं चमकते
२१
नीले सपने
मन आँखों में
नारी है देखे
२२
कैद करा है
चाँद की चांदनी का
आँखों में अक्स

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