मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

हाइकु ..."मित्र : सुख दुख के साथी !"



संग डोलते
स्नेह रस घोलते
पंछी से मित्र l
प्रचंड धूप
छाया से लगते हैं
स्नेहिल मित्र l

खरे सिक्के से

मित्र हैं खनकते

मन जेब में l


फूलों सी गंध

एक ड़ार चह्के

मित्र महके l


काँटों सा पथ

साथ कदम लेते

स्नेहिल हो मित्र l


सपने साथ

हमसफ़र जैसे

मित्र देखते l


मित्रता रस्म

असीम समर्पण

दुःख सुख का l

8

दोस्ती की डोर

मन खूंटे से बांधे

साथ निभाएं l


मित्रत्व एक

सुखद अहसास

मीठी सी यादl

१०

सूरज चाँद

आकाश में मित्र से

रोशनी देते l

डॉ सरस्वती माथुर

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