मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

हाइकु "ख़ामोशियाँ बाेलती !"


हाइकु 
1.
शाखाें ने बाँधी
पाताें की झांझर ताे
हवायें बाेलीं ।
2.
पाखी गुंजाये
हवाओं में संगीत
बासंती गीत ।
3.
ठंडे सवेरे
राताें काे बिछा के
रातें थीं साेयीं  ।
4.
गुलमाेहर
तुम्हारी ललाई से
बसंत आया ।
5.
सवेरा जागा
सूर्य सा मन मेरा
धूप सा भागा।
6.
राज खोलती
कुछ ख़ामोशियाँ भी
रहें बाेलतीं ।
7.
सर्दी की भाेर
अलाव सूरज पे
धूप तापती।
 8
मीठे संवाद
चिड़ियों के खोये ताे
जंगल रोये।
9.
मैल साँझ की 
मटमैली करती
देह नभ की।
10.
धूप किरणें
घास पर बुनती
हरी सी दरी।
11.
सूखी है डाल
तितली - भँवरों  का 
बुरा है  हाल।
12
नभ के माथे
सूरज का झूमर
रोशन धूप ।
डाँ सरस्वती माथुर 
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