मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

हाइकु ...".धरा पे जन्नत !"

1

पातों पे लगे
शबनमी बिस्तर
धरा जन्नत !
2
नदिया देती
सागर को अस्तित्व
खुद खो जाती !
3
आयु की बही
समय महाजन
लिख रहा है l
4
 टूटा घरोंदा
हवा कश्तियों पर
लहरें चढ़ी l
5
दोपहरी की
पकड़ के सीढियां
सूरज चढाl
6
नदिया देती सागर को अस्तित्व
खुद खो जातीl
7
ललाती साँझ
नभ की पाग पर
कलगी लगे
8
 
सागर रेत
प्रेयसी सी तट पे
बिन जल सूखी 9
पूनम चाँद
कृष्ण पक्ष आते ही
पिघल गया
10
सूर्य निकला
स्वर्णिम रथ पर
सागर पार
डॉ सरस्वती माथुर

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