मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

हाइकु ...चाँदनी बुनकर

1

एक पीपल

मन खण्डहर में

याद का उगाl

2

सर्द  हवाएँ

शाम की पुरवाई  में  

थिर हो जमी l 

3

चुप्पी तोड़ते  

खंडहर हवेली में

चूहों के बिल l

4

मौन तोड़ती 

अंधेरे में चिड़ियाँ

देख शिकारी l

5

हवा सा मन

आकाश नाप कर

ख्वाब बुनता l

6

 नि:शब्द नैन

मन की पीड़ा बुन 

नींद  चुराते

7

कौन आयेगा

ख्वाबों में बस कर

नीड बनाने ?

8

नभ से  भागी

चाँद संग चाँदनी 

हुई प्रवासी l    



9

 चाँद जुलाहा

 चाँदनी बुन कर

 प्रेम पिरोता l

10

यौवन आया

निंदियारी अँखियाँ

 घिरी स्वप्न सेl

डॉ सरस्वती माथुर

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