1
एक पीपल
मन खण्डहर में
याद का उगाl
2
सर्द हवाएँ
शाम की पुरवाई में
थिर हो जमी l
3
चुप्पी तोड़ते
खंडहर हवेली में
चूहों के बिल l
4
मौन तोड़ती
अंधेरे में चिड़ियाँ
देख शिकारी l
5
हवा सा मन
आकाश नाप कर
ख्वाब बुनता l
6
नि:शब्द नैन
मन की पीड़ा बुन
नींद चुराते
7
कौन आयेगा
ख्वाबों में बस कर
नीड बनाने ?
8
नभ से भागी
चाँद संग चाँदनी
हुई प्रवासी l
9
चाँद जुलाहा
चाँदनी बुन कर
प्रेम पिरोता l
10
यौवन आया
निंदियारी अँखियाँ
घिरी स्वप्न सेl
डॉ सरस्वती माथुर
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