सोमवार, 22 दिसंबर 2014

माहिया


"आओ साथ चलें!"
1
है पीपल की टहनी
यादों की पायल
 मैंने भी है पहनी l
2
तरु पर हैं शाखें
राहें देख रही  
 बिछा के मैं आँखें l
3
है रुकी- रुकी राहें
आओ साथ चलें
 थाम लो सजन बाहें l
4
इमली का बूटा है
तू परदेस गया
दिल  मेरा टूटा है l
5
है  रेशम की  डोरी
  नींदें उड  जाती 
अब यादों में तोरी l
6
गुलशन में कलियाँ है
मेरे मन में तो
यादों की गलियां हैl
7
है झूम रहा सावन
तेरे बिन कैसे
 अब लागे मेरा मन l
8
टिप टिप बरसा पानी
 मैंने अब तुझ से
मिलने की है ठानी l
9
है थकी थकी सांसें
 निकलेगी  कैसे
अब यादों की फाँसें l
10
रेतो के धोरे हैं
 कागज मनवा के
अब तक भी कोरे हैं l
डॉ सरस्वती माथुर
 

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