"मैं हिंदी हूँ!"
मैं हिंदी हूँ
बहुरंगी भाषा हूँ
पारदर्शी और भोली हूँ
रंगीन भाषाओँ के
पक्षियों की मैं
मिली जुली चह्चहाट हूँ
अलग अलग प्रान्तों का
मुखौटा नहीं औढती
सभी बोलियाँ
मोतियों सी
अपनी माला मैं
पिरोती हूँ
मैं हिंदी हूँ
बहुरंगी भाषा हूँ
पारदर्शी और भोली हूँ
रंगीन भाषाओँ के
पक्षियों की मैं
मिली जुली चह्चहाट हूँ
अलग अलग प्रान्तों का
मुखौटा नहीं औढती
सभी बोलियाँ
मोतियों सी
अपनी माला मैं
पिरोती हूँ
पंख लगा पाखी सी
हिन्दुस्तान पे
उडती हूँ
भावों के गीत सुना
बस भाषाओँ से
छंद निचोड़ती हूँ और
दिलों
को जोडती हूँ
मैं हिंदी हूँ !
डॉ सरस्वती
माथुर
पंख लगा पाखी सी
हिन्दुस्तान पे उडती हूँ
भावों के गीत सुना
बस भाषाओँ से
छंद निचोड़ती हूँ और
दिलों को जोडती हूँ
मैं हिंदी हूँ !
डॉ सरस्वती माथुर
"विभिन्न स्वरूपा हिंदी !"
एक वृक्ष है हिंदी
कोयलें टहुकें
चह्कें परिंदे भावी
सुरीला गान हिंदी
सभी में दक्ष हिंदी
भाषाओँ के नगीनों की
अनूठी खान हिंदी
एक विज्ञान है हिंदी
समकक्ष सभी के हिंदी
विश्व भाषा में
सफल संधान हिंदी
निज भाषा का मान हिंदी
प्रबल पक्ष है हिंदी
एक सूत्र में बांधे देश को
विभिन्न स्वरूपा हिंदी
सरस मुस्कान है हिंदी
डॉ सरस्वती माथुर
एक क्षणिका
"हिंदी भाषा !"
हिंदी बोली है मधुर
मन को है बांधती
कान तृप्त हो जाते हैं सुन कर
तुम ऐसी ही मीठी वाणी हो
संवादों के रसधार में
लगती जानी पहचानी हो
हिंदी दिवस पर आओ करें
आज हम तुम्हारा मान
राष्ट्र की भाषा हो तुम
और हमारा हो अभिमान !
डॉ सरस्वती माथुर
"हिंदी भाषा !"
हिंदी बोली है मधुर
मन को है बांधती
एक सूत्र जोड़ें कैसे
यह भी यह जानती
बीज प्रेम के डाल के
मन को यह पिरोती
हिंदी भाषा माँ जैसी
ममतामयी होती!
डॉ सरस्वती माथुर
यह भी यह जानती
बीज प्रेम के डाल के
मन को यह पिरोती
हिंदी भाषा माँ जैसी
ममतामयी होती!
डॉ सरस्वती माथुर
"हिंदी दिवस पर
!"
स्वागत है हिंदी दिवस तुम्हारा
तुम भाषा का उत्सव हर्ष हो
जन जन का भी तुम उत्कर्ष हो
बोली बहुत ही सरस हो
स्वागत है हिंदी दिवस तुम्हारा
तुम भाषा का उत्सव हर्ष हो
जन जन का भी तुम उत्कर्ष हो
बोली बहुत ही सरस हो
कान तृप्त हो जाते हैं सुन कर
तुम ऐसी ही मीठी वाणी हो
संवादों के रसधार में
लगती जानी पहचानी हो
हिंदी दिवस पर आओ करें
आज हम तुम्हारा मान
राष्ट्र की भाषा हो तुम
और हमारा हो अभिमान !
डॉ सरस्वती माथुर
"हिंदी की
बिंदी !"
नदिया सी कलकल करती
आँचल सी लहराती
हिंदी
विश्व जगत के माथे पर
चंदा सी चमकती बिंदी
खुशबू सा महकाती है
भावों
की बगिया हिंदी
सतरंगी तितली सी उड़ती
शात्रीय भाषाओँ संग
हिंदी
अंग्रेजी से हार न माने
चाल में तूफानी हिंदी
गूंजा दी
अनुगूंजें विश्व में
संयुक्त राष्ट्र में गूंजी हिंदी
भारत की राष्ट्र
भाषा है
हम सबका मन हर्षाती हिंदी
बहुत ही सुंदर यह भाषा है
जन जन की
अभिलाषा हिंदी!
डॉ सरस्वती माथुर
"हिंदी का सौन्दर्य !"
ह्रदय के संयोजन
की
भाषा हिंदी
जनमानस की
आशा हिंदी
तन- मन में उमंग
जगाती
हिंदी
मिश्री मिठास सी
भाषा हिंदी
ईद ,होली ,दशहरे
पर
प्रतिस्पर्धी नहीं
पूरक बन जाती
प्यारी सी हिंदी
क्षेत्रीय
भाषाओँ को
एक वट वृक्ष सी
समेटती , हिन्दुओं की
अभिलाषा
हिंदी
हिंदी दिवस पर
ना बांधें रस्मो में
अभिव्यक्ति की
परिभाषा
हिंदी!-
डॉ सरस्वती माथुर
"भाषा यह धार सी !"
अब जलेगी
देश
प्रेम की बाती
मौन अर्चना से लिखो
हिंदी में पाती .
प्रान्तों को जोड़
कर
संग मुस्कराती
एक दिशा मोड़ कर
नयी राह दिखाती
भाषा यह धार
सी
दिव्य रूप में बांध
जन को यह तार सी
नव आस्थाएं जगाती
तेल डाल
साधना का
देश प्रेम से हिन्दी
सकल आराधना का
नेह दीप जलाती !
डॉ सरस्वती माथुर
"हिंदी की
बिंदी !"
नदिया सी कलकल करती
आँचल सी लहराती हिंदी
विश्व जगत के माथे पर
चंदा सी चमकती बिंदी
नदिया सी कलकल करती
आँचल सी लहराती हिंदी
विश्व जगत के माथे पर
चंदा सी चमकती बिंदी
खुशबू सा महकाती है
भावों की बगिया हिंदी
सतरंगी तितली सी उड़ती
शात्रीय भाषाओँ संग हिंदी
अंग्रेजी से हार न माने
चाल में तूफानी हिंदी
गूंजा दी अनुगूंजें विश्व में
संयुक्त राष्ट्र में गूंजी हिंदी
भारत की राष्ट्र भाषा है
हम सबका मन हर्षाती हिंदी
बहुत ही सुंदर यह भाषा है
जन जन की अभिलाषा हिंदी!
डॉ सरस्वती माथुर
"हिंदी का सौन्दर्य !"
ह्रदय के संयोजन की
भाषा हिंदी
जनमानस की
आशा हिंदी
तन- मन में उमंग
जगाती हिंदी
मिश्री मिठास सी
भाषा हिंदी
ईद ,होली ,दशहरे पर
प्रतिस्पर्धी नहीं
पूरक बन जाती
प्यारी सी हिंदी
क्षेत्रीय भाषाओँ को
एक वट वृक्ष सी
समेटती , हिन्दुओं की
अभिलाषा हिंदी
हिंदी दिवस पर
ना बांधें रस्मो में
अभिव्यक्ति की
परिभाषा हिंदी!-
डॉ सरस्वती माथुर
"भाषा यह धार सी !"
अब जलेगी
देश प्रेम की बाती
मौन अर्चना से लिखो
हिंदी में पाती .
प्रान्तों को जोड़ कर
संग मुस्कराती
एक दिशा मोड़ कर
नयी राह दिखाती
भाषा यह धार सी
दिव्य रूप में बांध
जन को यह तार सी
नव आस्थाएं जगाती
तेल डाल साधना का
देश प्रेम से हिन्दी
सकल आराधना का
नेह दीप जलाती !
डॉ सरस्वती माथुर
ह्रदय के संयोजन की
भाषा हिंदी
जनमानस की
आशा हिंदी
तन- मन में उमंग
जगाती हिंदी
मिश्री मिठास सी
भाषा हिंदी
ईद ,होली ,दशहरे पर
प्रतिस्पर्धी नहीं
पूरक बन जाती
प्यारी सी हिंदी
क्षेत्रीय भाषाओँ को
एक वट वृक्ष सी
समेटती , हिन्दुओं की
अभिलाषा हिंदी
हिंदी दिवस पर
ना बांधें रस्मो में
अभिव्यक्ति की
परिभाषा हिंदी!-
डॉ सरस्वती माथुर
"भाषा यह धार सी !"
अब जलेगी
देश प्रेम की बाती
मौन अर्चना से लिखो
हिंदी में पाती .
प्रान्तों को जोड़ कर
संग मुस्कराती
एक दिशा मोड़ कर
नयी राह दिखाती
भाषा यह धार सी
दिव्य रूप में बांध
जन को यह तार सी
नव आस्थाएं जगाती
तेल डाल साधना का
देश प्रेम से हिन्दी
सकल आराधना का
नेह दीप जलाती !
डॉ सरस्वती माथुर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें