हाइकु:पर्यावरण
धुनें नभ की
सेज पे लेटा चाँद
प्रभामय था
२
मेघ के टुकड़े
नभ की घास पर
सुस्ताने बैठे
४
कलगी सा लगे
नभ के खेत पर
बिंदी सा चाँद
५
सूर्य डूबा तो
विदा गीत सुनाया
संध्या पाखी ने
6
डूबता सूर्य
कल भोर के संग
आने वाला है
7
सूरज जमा
दिन हुआ बर्फ सा
धूप ठिठुरी
8
समय पढो
प्रकृति पहचानो
आज को जिओ
9
भूरी पत्तियां
पतझर लायी है
पेड ठगा सा
10
झरना बहा
पहाड़ी पगडंडी
फैला नदी सा
11
हाथ हिलाता
चौखट पर सूर्य
जागी चिड़िया
12
आखिरी रंग
उतरा आकाश में
परछाई सा
13
गौधूली आई
मौन सा भर गयी
थका सा दिन
14
गिरी पत्तियां
याद दिला गयीं हैं
अंतिम विदा
15
सूर्य सुबह
धूप ओढ़ के आया
सभी को भाया
16
सुबह ओस
बंदनवार बनी
फूल पे टंकी
1
वृक्ष पावन
वृक्ष पावन
जंगल में मंगल
हरित धरा
2
हरी ओढ़नी
धरा ने जो पहनी
रूप निखरा
3
पर्यावरण
हरियाला बनाओ
वृक्ष रोप के
4
धरा ने ओढ़ी
धानी सी चुनरिया
हरा सा वन
5
वृक्ष है दीप
परती आँगन में
इसे जलाओ
डॉ सरस्वती माथुर
हरित धरा
2
हरी ओढ़नी
धरा ने जो पहनी
रूप निखरा
3
पर्यावरण
हरियाला बनाओ
वृक्ष रोप के
4
धरा ने ओढ़ी
धानी सी चुनरिया
हरा सा वन
5
वृक्ष है दीप
परती आँगन में
इसे जलाओ
डॉ सरस्वती माथुर
प्रकृति विषयक हाइकू
१ धुनें नभ की
सेज पे लेटा चाँद
प्रभामय था
२
मेघ के टुकड़े
नभ की घास पर
सुस्ताने बैठे
४
कलगी सा लगे
नभ के खेत पर
बिंदी सा चाँद
५
सूर्य डूबा तो
विदा गीत सुनाया
संध्या पाखी ने
6
डूबता सूर्य
कल भोर के संग
आने वाला है
7
सूरज जमा
दिन हुआ बर्फ सा
धूप ठिठुरी
8
समय पढो
प्रकृति पहचानो
आज को जिओ
9
भूरी पत्तियां
पतझर लायी है
पेड ठगा सा
10
झरना बहा
पहाड़ी पगडंडी
फैला नदी सा
11
हाथ हिलाता
चौखट पर सूर्य
जागी चिड़िया
12
आखिरी रंग
उतरा आकाश में
परछाई सा
13
गौधूली आई
मौन सा भर गयी
थका सा दिन
14
गिरी पत्तियां
याद दिला गयीं हैं
अंतिम विदा
15
सूर्य सुबह
धूप ओढ़ के आया
सभी को भाया
16
सुबह ओस
बंदनवार बनी
फूल पे टंकी
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