सोमवार, 24 नवंबर 2014

माहिया संकलन


 माहिया 

 इस छन्द में गेयता प्रमुख है , अत: कभी -कभी गुरु मात्रा को दबाकर लघु रूप में भी उच्चरित किया जाता है । इस छन्द में पहली और तीसरी पंक्ति  में 12 -12 मात्राएँ तथा दूसरी पंक्ति में 10 मात्राएँ होती हैं । पहली और तीसरी पंक्ति  तुकान्त होती है । ]माहिया पंजाब से उपजा है। जो कि शादी-ब्याह में गाया जाता रहा है।माहिया का छन्द है मात्रायें- तीन चरणों में पहले में 2211222 दूसरे में 211222 तीसरे में 2211222

डॉ सरस्वती माथुर


1

रातें तो काली हैं

मन हो रोशन तो

हर रात दिवाली है ।

2

दीपों की लड़ियाँ हैं

जगमग आँगन में

जलती फुलझड़ियाँ हैं ।

3

नैनो में दीप जले

नभ के चंदा सा

आ जाना शाम ढले।

4 

तुमको जब से खोया
 मनवा जाने क्यों   
 बादल बनकर रोया l
5
मन की जब नाव चली
पुरवा -सी  यादें 
साजन  के गाँव चली l
6
चुपके-चुपके आया
चंदा बन मन में
मेरा साजन छाया l
7
नैना तोसे   लागे
साजन की खातिर
हम रातों  को  जागे l
9
मुरली जब बजती है
 छवि तब कान्हा की  
नैनन आ  सजती  है।
10
यमुना तीरे डोले
आकुल- सी राधा 
कान्हा- कान्हा बोले ।
11
प्रिय सावन में आना
मेघा बन करके
 मन नभ पर छा जाना l
12
मन बौराया फिरता
 तेरी यादों से
 मन मेरा जब घिरताl
13
क्या बात लगी मन में
लौट के न आ
  फिर से तुम जीवन में l
14
कैसे काटें रातें
यादों में आतीं
भूली -बिसरी बातें
15
घर का रीता आँगन
तुम किस देस गए
लागे ना  मोरा मन
16
मन को कैसे थामें
सजन  बता जाना
सूनी लगती शामें
17
उड़ता मन का पाखी
तेरी यादों की
हाला मैंने चाखी
18
मन का सूना कोना
जाने कब होगा
अब यादों का गौना
19
नभ में सावन छाया
मुझसे मिलने को
साजन था घर आया
20
पुरवा सीली -सीली
तेरी यादों ने
आँखें  कर दी गीली
21 
सपने मैंने बो
तुम जब आए तो
मिल कर थे हम रोए ।
22
मन मेरा है घायल
 छाये आँखों में
यादों के ये  बादल
23
डाली- डाली डोले
यादों की कोयल
मन की पीड़ा खोले
24
मन मेरा डोल रहा
 मन की बाते वो
देखो  ना  खोल रहा
25
चंपा  संग चमेली
तेरी यादें तो
 मेरे मन से खेलीं
26
फूली -फूली सरसों 
अब तो आ जाओ
देखा न, हुए बरसों।
27
रजनीगंधा महकी
होली आई तो
यादें बन कर चहकी ।
28
नैनो के दरवाजे   
खोल रहीं देखो
सपनों की आवाजें  ।
29 
मन मेरा दीवाना
फुरसत मिलते ही
आकर तुम मिल जाना l
30
सपने तेरे आ
मेरे  नैनों में
केवल ही तुम छा l
31
 गरजे बरसे बादल
 नैनों में डाला    
 है प्रीत भरा काजल l
32
झिलमिल करता तारा
काली रातों में
दीपों का उजियारा l
33
मुझको वो छलते हैं 
अब मिलने को वो
दिन -रात मचलते हैं l
34
मन भी  तो तरसे है
आते ही यादें
आँखे भी बरसे है l
35
मैं तो पीकर हाला
करती याद तुझे
जपती तेरी माला l
36
बोलो -कब  आओगे ?
डोली में अपनी
मुझको ले जाओगे ।
37
यादों की है डोली
अब तो आजाओ
तुम मेरे हमजोली ।
38
नैना क्यों भर आए
तुमको देखा तो
आँसू भी ढर आए ।
40
पनघट पे आ जाना 
मीठी बातों से
तुम मन बहला  जाना 
41
चंदा ने देखा है
नभ के आँगन में
काजल की रेखा है ।
42
 
मन मेरा सावन  है ।
हम तुम साथ रहें
मौसम  मनभावन  है ।  
43 
हौले से छूना मन
यादों में तेरी
सूना मेरा आँगन l
44 
हैं यादें रंगीली
उड़ के आई हैं
हैं बिन बरसे गीली l
45
मिलने को तरसे हम
यादें आई तो
निकले फिर घर से हम l
46
है मन की लाचारी          
मिलना तुझसे  भी 
लगता  है अब  भारी l
47
मन के घट हैं रीते   
तेरे बिन सजना
दिन अब कैसे बीतें ? 
48
मन का पाखी चहका
तेरी यादों से
दिल रहता है महका l
49
सागर में लहरें हैं
तेरे मिलने पर
हम पे भी पहरे हैं l
50  
हैं यादो के झारे
तेरे बिन फीके से
हैं लगते सब तारे
51
पानी तो खारा है
मन बोले तू तो
आँखों का तारा है l
52
हिरनी -सा मन चंचल
बीत गयी रैना
आ दूर कहीं तू चल l
53
यादों की चाक चली
मिलने आना तुम
 मन की है पाक गली
54
तुम दिल में रहती हो
बिन बोले मुझसे
बातें ब कहती हो l
55
गीतों में सरगम है
मौसम मिलने का
पर मन में उलझन हैl
56 
पाखी नभ में उड़ते
सपने आँखों में
साजन के आ जुड़ते l
57
खुशियाँ हैं आँखों में
उड़ते हैं सपने
दम भी है पाँखों में l
58 
है मन मेरा गागर
तुझ में खो जाऊँ
तू है मेरा सागर
59
पलकों की शबनम हो
मन में रहते हो
मेरे तो हमदम हो l
60
तुम  जुगनू बन आओ
रातों को मेरी
आलोकित कर जाओ l
62
तुम धारा मैं नदिया
मुझ तक आने में
कितनी बीती सदियाँ l
63
तुम हो मेरी सजनी
मन में रहती हो
ज्यों पूनम की रजनी l
64
है मेरा दिल खाली 
बगिया का मेरी
है तू ही तो माली l
65
आँखें मेरी पुरनम
तुम हो यादों में
कब होगा अब संगम l
66
बहती धारा कलकल
थामें पतवारें
तू दूर कहीं अब चल
67
यादों के फूल खिले
मन की राहों पर
हम उनके संग चले
68
यादों की हवा चली
मन की गलियों में
उनकी ही ज्योति जली
69
आँखों में दीप जले
नभ के चंदा -सा
आ जाना शाम ढले  ।
70
दीपो में बाती है
यादो की पूनी
मैने भी काती है  ।
71 मन -चौरे दीप जले
तू भी आ जाना
जैसे ही शाम ढले  ।
72
खेतों में बाली है तू भी आ जाना ।
सब ओर दिवाली है  ।
73 दीपक की झिलमिल है काली रातों में पूनम-सी महफ़िल है 74 घर -घर में दीप जले काली रातों में
कैसे हम आज मिले ?
 
रातें तो काली हैं
मन हो रोशन तो
हर रात दिवाली है ।
2
दीपों की लड़ियाँ हैं
जगमग आँगन में
जलती फुलझड़ियाँ हैं ।
3
नैनो में दीप जले
नभ के चंदा सा
आ जाना शाम ढले।
4 
तुमको जब से खोया
 मनवा जाने क्यों   
 बादल बनकर रोया l
5
मन की जब नाव चली
पुरवा -सी  यादें 
साजन  के गाँव चली l
6
चुपके-चुपके आया
चंदा बन मन में
मेरा साजन छाया l
7
नैना तोसे   लागे
साजन की खातिर
हम रातों  को  जागे l
9
मुरली जब बजती है
 छवि तब कान्हा की  
नैनन आ  सजती  है।
10
यमुना तीरे डोले
आकुल- सी राधा 
कान्हा- कान्हा बोले ।
11
प्रिय सावन में आना
मेघा बन करके
 मन नभ पर छा जाना l
12
मन बौराया फिरता
 तेरी यादों से
 मन मेरा जब घिरताl
13
क्या बात लगी मन में
लौट के न आ
  फिर से तुम जीवन में l
14
कैसे काटें रातें
यादों में आतीं
भूली -बिसरी बातें
15
घर का रीता आँगन
तुम किस देस गए
लागे ना  मोरा मन
16
मन को कैसे थामें
सजन  बता जाना
सूनी लगती शामें
17
उड़ता मन का पाखी
तेरी यादों की
हाला मैंने चाखी
18
मन का सूना कोना
जाने कब होगा
अब यादों का गौना
19
नभ में सावन छाया
मुझसे मिलने को
साजन था घर आया
20
पुरवा सीली -सीली
तेरी यादों ने
आँखें  कर दी गीली
21 
सपने मैंने बो
तुम जब आए तो
मिल कर थे हम रोए ।
22
मन मेरा है घायल
 छाये आँखों में
यादों के ये  बादल
23
डाली- डाली डोले
यादों की कोयल
मन की पीड़ा खोले
24
मन मेरा डोल रहा
 मन की बाते वो
देखो  ना  खोल रहा
25
चंपा  संग चमेली
तेरी यादें तो
 मेरे मन से खेलीं
26
फूली -फूली सरसों 
अब तो आ जाओ
देखा न, हुए बरसों।
27
रजनीगंधा महकी
होली आई तो
यादें बन कर चहकी ।
28
नैनो के दरवाजे   
खोल रहीं देखो
सपनों की आवाजें  ।
29 
मन मेरा दीवाना
फुरसत मिलते ही
आकर तुम मिल जाना l
30
सपने तेरे आ
मेरे  नैनों में
केवल ही तुम छा l
31
 गरजे बरसे बादल
 नैनों में डाला    
 है प्रीत भरा काजल l
32
झिलमिल करता तारा
काली रातों में
दीपों का उजियारा l
33
मुझको वो छलते हैं 
अब मिलने को वो
दिन -रात मचलते हैं l
34
मन भी  तो तरसे है
आते ही यादें
आँखे भी बरसे है l
35
मैं तो पीकर हाला
करती याद तुझे
जपती तेरी माला l
36
बोलो -कब  आओगे ?
डोली में अपनी
मुझको ले जाओगे ।
37
यादों की है डोली
अब तो आजाओ
तुम मेरे हमजोली ।
38
नैना क्यों भर आए
तुमको देखा तो
आँसू भी ढर आए ।
40
पनघट पे आ जाना 
मीठी बातों से
तुम मन बहला  जाना 
41
चंदा ने देखा है
नभ के आँगन में
काजल की रेखा है ।
42
 
मन मेरा सावन  है ।
हम तुम साथ रहें
मौसम  मनभावन  है ।  
43 
हौले से छूना मन
यादों में तेरी
सूना मेरा आँगन l
44 
हैं यादें रंगीली
उड़ के आई हैं
हैं बिन बरसे गीली l
45
मिलने को तरसे हम
यादें आई तो
निकले फिर घर से हम l
46
है मन की लाचारी          
मिलना तुझसे  भी 
लगता  है अब  भारी l
47
मन के घट हैं रीते   
तेरे बिन सजना
दिन अब कैसे बीतें ? 
48
मन का पाखी चहका
तेरी यादों से
दिल रहता है महका l
49
सागर में लहरें हैं
तेरे मिलने पर
हम पे भी पहरे हैं l
50  
हैं यादो के झारे
तेरे बिन फीके से
हैं लगते सब तारे
51
पानी तो खारा है
मन बोले तू तो
आँखों का तारा है l
52
हिरनी -सा मन चंचल
बीत गयी रैना
आ दूर कहीं तू चल l
53
यादों की चाक चली
मिलने आना तुम
 मन की है पाक गली
54
तुम दिल में रहती हो
बिन बोले मुझसे
बातें ब कहती हो l
55
गीतों में सरगम है
मौसम मिलने का
पर मन में उलझन हैl
56 
पाखी नभ में उड़ते
सपने आँखों में
साजन के आ जुड़ते l
57
खुशियाँ हैं आँखों में
उड़ते हैं सपने
दम भी है पाँखों में l
58 
है मन मेरा गागर
तुझ में खो जाऊँ
तू है मेरा सागर
59
पलकों की शबनम हो
मन में रहते हो
मेरे तो हमदम हो l
60
तुम  जुगनू बन आओ
रातों को मेरी
आलोकित कर जाओ l
62
तुम धारा मैं नदिया
मुझ तक आने में
कितनी बीती सदियाँ l
63
तुम हो मेरी सजनी
मन में रहती हो
ज्यों पूनम की रजनी l
64
है मेरा दिल खाली 
बगिया का मेरी
है तू ही तो माली l
65
आँखें मेरी पुरनम
तुम हो यादों में
कब होगा अब संगम l
66
बहती धारा कलकल
थामें पतवारें
तू दूर कहीं अब चल
67
यादों के फूल खिले
मन की राहों पर
हम उनके संग चले
68
यादों की हवा चली
मन की गलियों में
उनकी ही ज्योति जली
69
आँखों में दीप जले
नभ के चंदा -सा
आ जाना शाम ढले  ।
70
दीपो में बाती है
यादो की पूनी
मैने भी काती है  ।
71 मन -चौरे दीप जले
तू भी आ जाना
जैसे ही शाम ढले  ।
72
खेतों में बाली है तू भी आ जाना ।
सब ओर दिवाली है  ।
73 दीपक की झिलमिल है काली रातों में पूनम-सी महफ़िल है 74 घर -घर में दीप जले काली रातों में
कैसे हम आज मिले ?
75
मौसम अलबेला है
अब तो आ जाओ
मिलने की बेला है l
76
डोले नभ में बादल
मन की आँखों में
बस यादों का काजल l
77
तुम भूल मुझे जाना
सात जनम लूँगी
है तुमको ही पाना l
78
हैं सपने रंगीले
नींदें पी -पी के
अब तक भी हैं गीले l
79
है कोरा कागज -मन
आकर लिख जाओ
जीवन में अपनापन l
80  
मेहँदी का रंग हरा
लाली प्रीत भरी
नैनो में प्यार भरा l
81
है मेरा दिल खाली
बगिया का मेरी
है तू ही तो माली
82
तुम बन जुगनू आओ
रातों को मेरी
आलोकित कर जाओ
83
तुम धारा मैं नदिया
मुझ तक आने में
कितनी बीती सदियाँ
84
आँखें मेरी पुरनम
तुम हो यादों में
कब होगा अब संगम
85
है माथे पर बिंदिया
काजल आँखों में
खोयी मेरी निंदिया l 
86
है मौसम हरियाला
वर्षा की बूँदें
हमको लगती हाला  ।
87
काली ये रातें हैं
मन दीप जला के
करनी कुछ बातें हैं ।
88
तुम मेरे हो जाना
नींदें लेकर तुम
सपनो में खो जाना।
89
मेरी तू नैया है
पार लगा देना
तू मेरा सैयां है ।
90
सपने हैं नैनो में
नींद नहीं आती
मन तडपे रैनो में ।
91
दिल दिल से मिल जाता
मेरा मन बोले-
‘तू मुझ से मिल जाता।’
92
यादों की तेज  हवा
मन में थी उमड़ी
बस तेरे लिए दुआ
93
सपनो की कश्ती में
साथ चलो मेरे
यादों की  बस्ती में
94
मन का है तहखाना
तरसें  ये  नैना 
फुर्सत ले आ जाना  ।
95
यादों का मेला है
बारिश का मौसम
मन बहुत अकेला है l
96
यादें तो आती हैं 
उडके खुशबू- सी
मन को महकाती हैं  l
97
यादों का उजियारा
तपती रेती में
तुम हो बहती धारा l
98
चरखा है यादों का
आँखों में काता
सपना बस वादों का
99
नभ पे तो तारे हैं
मन के भीतर भी
यादों के  झारे हैं
100
पूनम की हैं रातें
नभ के आँचल में
तारों की  सौगातें ।
101
धूप छाँह सा मन
घर के आँगन में
कितना अपनापन l
102
जीवन की बही लहर
धार -धार में चलती
दुख -सुख से भरी डगर
103
जुही -सा नाज़ुक मन
ओढ़ उदासी को
बैठा सूने आँगन l
104
ले आ डोली कहर
दूर चले जाना
घर में बहे दिन चार l
105
चरखा है यादों का
आँखों में काता
सपना बस वादों का l
डॉ सरस्वती माथुर
 

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