रावण का था मान
(दोहे)
स्वर्ण जडित लंका बसी रावण का था मान पवन पुत्र ने फूँक दी जला दिया अभिमान l रावण का पुतला जला, विजयादशमी-पर्व परम सत्य विजयी हुआ, हुआ राम पर गर्व l राम नाम की नाव में, होगा बेडा पार खो जाओ प्रभु धाम में, यह जीवन का सार l राम हृदय ने जान ली, वानर दल की भक्ति मातु सिया की खोज मेँ, सभी लगा दी शक्ति l विजयी होके राम ने, किया दशानन अंत देने को आशीष थे, संग में सारे संत । मने सदा सद्भाव से, मनभावन त्यौहार पूज राम को फिर करो, उनकी जयजयकार l मिटे पाप संताप अब, आया पावन पर्व रावण बध से मिट गया, उसका सारा गर्व । डॉ सरस्वती माथुर |
शुक्रवार, 3 अक्तूबर 2014
दशहरे के दोहे ...रावण का था मान
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