बुधवार, 3 सितंबर 2014

तांका : "जीवन !" हाइकु :" दुःख की नदी !"सेदोका :" मृत्यु !"...

तांका : "जीवन !" 
मेरा जीवन
उड़ान भरता है
पंख खोल के 
प्रेम रंग भर के
सपने बुनता हैl
2
 समय रथ
अनथक भागता
पाहुना बन
जीवन बसंत में
रगों को भरता है l
3
भटकती सी
जीवन के संग में
 लिपटी यादें
मन के नभ पर
प्रियतम तरु से l
4
अब कहाँ है ?
जीवन निहारता
रोशन चाँद
अँधेरी सी रातों में
चांदनी बरसाता l
5
 भाव विभोर
जीवन का चकोर
चाँद निहारता
स्निग्ध चांदनी ओढ़
आकाश संवारता l
5
 जीवन ऋतु
तितली सी उड़ती
रस पीकर
धरती के फूलों पे
ऱसपगी हो जाती l
7
 गुटरगूं सी
जीवन की हवा थी
उड़ती गयी
बसंत को बुलाती
कूकी चह्चहाई l
हाइकु :" दुःख की नदी !"
1
दुःख की नदी
जीवन लहरों में
कुंदन हुई l
2
 दुःख की नदी
 हरहराती- बैठ
जीना सिखाये l
3
 हिम्मत रखो
सुख-दुःख की नदी
कर लो पार l
4
 दुःख की नदी
मन बींध जाती है
भिगो  पलकें l
5
दुःख की नदी
जीवन तट पे जा
फेन सी झरी l
6
 सुधियाँ जागी
दुःख की नदी बन
 काली सी रात l
7
जीवन  नदी
दुःख की लहरों से
लिपट मिली l
8
दुःख की नदी
जीवन रेत पर
बेसुध पड़ी l
9
 मन का बाँध
 दुःख नदी से टूटा
 लाया सैलाब l
10
 दुःख की नदी
 जब बहती जाती
 भीगता मन l
11
दुःख की नदी
आक्रांत सा जीवन
 बिखरा मन l
12
भंवर जागे
दुःख नदी- उमड़ी
 डूबे सपने l
सेदोका :" मृत्यु !"
1
उडता फिरा
मृत्यु के डैनो पर
खामोश गुमसुम
जीवन पाखी
सो गया ओढ़ कर
सफ़ेद सा कफ़न l
2
 मृत्यु चिड़िया
 जीवन गगन में
 खेले आँख मिचौनी
समय यम
 जीवन लहर में
 भंवर ला - ले जाए l
3
 अँधेरा छाया
पंखहीन पाखी सा
मृत्यु फल- चखने
फड़फडाता
एक गिलहरी सा
कुतरने को आया l
4
 घना तिमिर
जीवन चौबारे पे
उतरा उदास सा
मृत्यु रथ पे
रूह लेके जाने को
दलाल बन आया l
5
 मृत्यु दलाल
वसूलता है कर्ज
जीवन सपनो से
मौन हवाएं
सन्नाटे को बुनती
कफ़न चुनती हैं l
डॉ सरस्वती माथुर





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