तांका : "जीवन !"
मेरा जीवन
उड़ान भरता है
पंख खोल के
प्रेम रंग भर के
सपने बुनता हैl
2
समय रथ
अनथक भागता
पाहुना बन
जीवन बसंत में
रगों को भरता है l
3
भटकती सी
जीवन के संग में
लिपटी यादें
मन के नभ पर
प्रियतम तरु से l
4
अब कहाँ है ?
जीवन निहारता
रोशन चाँद
अँधेरी सी रातों में
चांदनी बरसाता l
5
भाव विभोर
जीवन का चकोर
चाँद निहारता
स्निग्ध चांदनी ओढ़
आकाश संवारता l
5
जीवन ऋतु
तितली सी उड़ती
रस पीकर
धरती के फूलों पे
ऱसपगी हो जाती l
7
गुटरगूं सी
जीवन की हवा थी
उड़ती गयी
बसंत को बुलाती
कूकी चह्चहाई l
हाइकु :" दुःख की नदी !"
1
दुःख की नदी
जीवन लहरों में
कुंदन हुई l
2
दुःख की नदी
हरहराती- बैठ
जीना सिखाये l
3
हिम्मत रखो
सुख-दुःख की नदी
कर लो पार l
4
दुःख की नदी
मन बींध जाती है
भिगो पलकें l
5
दुःख की नदी
जीवन तट पे जा
फेन सी झरी l
6
सुधियाँ जागी
दुःख की नदी बन
काली सी रात l
7
जीवन नदी
दुःख की लहरों से
लिपट मिली l
8
दुःख की नदी
जीवन रेत पर
बेसुध पड़ी l
9
मन का बाँध
दुःख नदी से टूटा
लाया सैलाब l
10
दुःख की नदी
जब बहती जाती
भीगता मन l
11
दुःख की नदी
आक्रांत सा जीवन
बिखरा मन l
12
भंवर जागे
दुःख नदी- उमड़ी
डूबे सपने l
सेदोका :" मृत्यु !"
1
उडता फिरा
मृत्यु के डैनो पर
खामोश गुमसुम
जीवन पाखी
सो गया ओढ़ कर
सफ़ेद सा कफ़न l
2
मृत्यु चिड़िया
जीवन गगन में
खेले आँख मिचौनी
समय यम
जीवन लहर में
भंवर ला - ले जाए l
3
अँधेरा छाया
पंखहीन पाखी सा
मृत्यु फल- चखने
फड़फडाता
एक गिलहरी सा
कुतरने को आया l
4
घना तिमिर
जीवन चौबारे पे
उतरा उदास सा
मृत्यु रथ पे
रूह लेके जाने को
दलाल बन आया l
5
मृत्यु दलाल
वसूलता है कर्ज
जीवन सपनो से
मौन हवाएं
सन्नाटे को बुनती
कफ़न चुनती हैं l
डॉ सरस्वती माथुर
उड़ान भरता है
पंख खोल के
प्रेम रंग भर के
सपने बुनता हैl
2
समय रथ
अनथक भागता
पाहुना बन
जीवन बसंत में
रगों को भरता है l
3
भटकती सी
जीवन के संग में
लिपटी यादें
मन के नभ पर
प्रियतम तरु से l
4
अब कहाँ है ?
जीवन निहारता
रोशन चाँद
अँधेरी सी रातों में
चांदनी बरसाता l
5
भाव विभोर
जीवन का चकोर
चाँद निहारता
स्निग्ध चांदनी ओढ़
आकाश संवारता l
5
जीवन ऋतु
तितली सी उड़ती
रस पीकर
धरती के फूलों पे
ऱसपगी हो जाती l
7
गुटरगूं सी
जीवन की हवा थी
उड़ती गयी
बसंत को बुलाती
कूकी चह्चहाई l
हाइकु :" दुःख की नदी !"
1
दुःख की नदी
जीवन लहरों में
कुंदन हुई l
2
दुःख की नदी
हरहराती- बैठ
जीना सिखाये l
3
हिम्मत रखो
सुख-दुःख की नदी
कर लो पार l
4
दुःख की नदी
मन बींध जाती है
भिगो पलकें l
5
दुःख की नदी
जीवन तट पे जा
फेन सी झरी l
6
सुधियाँ जागी
दुःख की नदी बन
काली सी रात l
7
जीवन नदी
दुःख की लहरों से
लिपट मिली l
8
दुःख की नदी
जीवन रेत पर
बेसुध पड़ी l
9
मन का बाँध
दुःख नदी से टूटा
लाया सैलाब l
10
दुःख की नदी
जब बहती जाती
भीगता मन l
11
दुःख की नदी
आक्रांत सा जीवन
बिखरा मन l
12
भंवर जागे
दुःख नदी- उमड़ी
डूबे सपने l
सेदोका :" मृत्यु !"
1
उडता फिरा
मृत्यु के डैनो पर
खामोश गुमसुम
जीवन पाखी
सो गया ओढ़ कर
सफ़ेद सा कफ़न l
2
मृत्यु चिड़िया
जीवन गगन में
खेले आँख मिचौनी
समय यम
जीवन लहर में
भंवर ला - ले जाए l
3
अँधेरा छाया
पंखहीन पाखी सा
मृत्यु फल- चखने
फड़फडाता
एक गिलहरी सा
कुतरने को आया l
4
घना तिमिर
जीवन चौबारे पे
उतरा उदास सा
मृत्यु रथ पे
रूह लेके जाने को
दलाल बन आया l
5
मृत्यु दलाल
वसूलता है कर्ज
जीवन सपनो से
मौन हवाएं
सन्नाटे को बुनती
कफ़न चुनती हैं l
डॉ सरस्वती माथुर
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